ऐसा हो शिशु का प्रथम ठोस आहार
मां का दूध शिशु का पहला आहार होता है। इससे शिशु की रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, लेकिन बढ़ती आयु के साथ यानी 6 महीने के बाद उसे अतिरिक्त पोषण की आवश्यकता होती है। 6 महीने से 24 महीने का समय शिशु के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि बच्चे का शारीरिक तीव्र विकास इसी समय होता है। बच्चे के शारीरिक वजन के आधार पर पोषण की जरूरत इस समय उच्चतम स्तर पर होती है। यही वह समय होता है, जब कई बच्चों में कुपोषण की शुरुआत होने लगती है, इसीलिए शिशु को ठोस आहार देना शुरु करना चाहिए, लेकिन हर नए माता-पिता के लिए यह निर्णय करना काफी तनावपूर्ण व भ्रमित करने वाला हो सकता है कि शिशु का प्रथम आहार क्या और कैसे खिलाया जाए। शुरुआती 6 माह बच्चा सिर्फ मां का दूध ही पीता है, लेकिन जब उसे आहार देना शुरु किया जाता है, तब बहुत सावधानी की जरूरत होती है।ऐसा हो शिशु का आहार- आमतौर पर चावल या दाल का पानी सबसे पहले खिलाया जाता है। बच्चे को मसलकर चावल खिलाना शुरू करें। पहले उसे बहुत थोड़ी मात्रा दें और फिर जब वह खाने लगे तो उसकी मात्रा बढ़ाएं।- बच्चे को गाजर या उबला आलू मेश करके खिलाएं। इसी प्रकार अन्य पत्तेदार सब्जियां जैसे पत्तागोभी इत्यादि खिलाएं। एक बार जब उसे सब्जी का स्वाद समझ में आ जाएगा तो वह खाने लगेगा। पत्तेदार सब्जियां जिनमें आयरन, विटामिन ए और विटामिन सी होता है दें, इनसे बच्चे का विकास पूर्ण रूप से होता है। - इसके बाद फल एवं जूस (संतरा, मौसमी व सेब) देना शुरू करें, लेकिन जूस घर पर ही निकाल कर दें। - केले को मैश कर के दही या दूध के साथ दें, लेकिन जिन बच्चों को कब्ज की शिकायत रहती है, उन्हें केला न दें।- कस्टर्ड, चावल, सूजी की खीर व दलिया दूध में पका कर खिलाएं।- लौकी, गाजर, आलू जो उसे पसंद आए, उस का सूप बना कर दें। इन सब्जियों को मूंग की दाल की खिचड़ी में भी मिला कर दे सकते हैं।- चावल के साथ मूंग की दाल मिला कर प्लेन खिचड़ी दें।- इन सब ठोस आहार के साथ पानी हमेशा उबाल कर ठंडा कर के ही दें और कम से कम डेढ़, 2 साल तक बच्चे को ब्रैस्ट फीडिंग अवश्य कराएं।ध्यान देने वाली बातें- भोजन बनाने से पहले बर्तन अच्छी तरह साफ करें। कुछ भी खिलाने के पहले उसे चख लें।- भोजन न ज्यादा गर्म हो और न ही ज्यादा ठंडा।- पहले दिन शिशु को केवल एक चम्मच ही खिलाएं या पिलाएं।- उनका भोजन साफ एवं सुरक्षित जगह पर रखें। - पहली बार शिशु को कोई भी आहार कम मात्रा में ही देना चाहिए ताकि वह उस के स्वाद से परिचित हो सके फिर धीरे-धीरे उस की मात्रा बढ़ाती जाएं।- बच्चे को ज्यादा खिलाने पर अनावश्यक जोर न दें। वह धीरे-धीरे ही खाना सीखेगा।- प्रारंभ में बच्चे को एक बार में एक ही तरह का आहार दें। जैसे दाल का पानी दे रही हैं, तो केवल दाल का पानी ही पिलाएं, उसमें अन्य कोई चीज न मिलाएं।- शिशु के आहार में विभिन्नता रखें यानी लगातार एक ही चीज न खिलाएं।- चम्मच से खिलाने के बजाय बच्चे को अपने हाथ से ही खिलाएं।- कई बार किसी खाने की चीज से बच्चे को एलर्जी हो जाती है। अगर कोई चीज खाने के बाद बच्चे को पेट या सिर में दर्द, जी मिचलाना, खांसी, त्वचा पर चकत्ते, खुजली या दाने निकलने जैसी कोई समस्या हो तो उसे नजरअंदाज न करें।- सब्जियां ज्यादा देर न उबालें, इससे उनके पोषक तत्व निकल जाते हैं।- शिशु को उबला हुआ पानी पिलाएं।
बच्चों में अंगूठा चूसने की आदत
बहुत से बच्चों में अंगूठा चूसने की आदत होती है गर यह आदत छुड़ाई न जाए तो बच्चे के बड़े होने तक बनी रहती है। इसके लिए डॉक्टर की सलाहनुसार दवाई लेकर बच्चे के अंगूठे में लगा दें। इसके अलावा शिशु के हाथों में कॉटन के ग्लब्स पहना दें या अंगूठे पर नीम की पत्ती का लेप लगा दें। एक बार इस का टेस्ट लेने के बाद वह दोबारा मुंह में उंगली नहीं डालेगा।
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