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कोरोना के इलाज में अब अश्वगंधा कर सकता है रामबाण का काम

कोरोना के इलाज में अब अश्वगंधा कर सकता है रामबाण का काम

Published on 22 May 2020 by Ayushman Magazine News Update

कोरोना के इलाज में अब अश्वगंधा कर सकता है रामबाण का काम
रिसर्च में सामने आई यह बात
अश्वगंधा में पाए जाने वाले विथानोन कम्पाउंड और प्रपोलिस में मौजूद कैफीक एसिड फिनेथाइल ईस्टर में SARS-CoV-2  में मौजूद  Mpro एंजाइम की गतिविधियों को रोकने की क्षमता है।
नई दिल्ली। आयुर्वेद में हर छोटी से बड़ी बीमारी का इलाज है। कैंसर से लेकर सर्जरी तक आयुर्वेद ने अपना असर दिखाया है। कोरोना जैसी महामारी में जहां अब तक कोई सटीक इलाज नहीं मिल पाया है, ऐसे में आयुर्वेद का सहारा लिया जा रहा है। भारत की इस प्राचीन चिकित्सा पद्धिति के सहारे कोरोना का इलाज संभव हो सकता है। यह बात हम नहीं कह रहे बल्कि ये दावा है आईआईटी दिल्ली और जापान के वैज्ञानिकों का।
आईआईटी दिल्ली और जापान के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड इंडस्ट्रियल साइंस एंड टेक्नोलॉजी (AIST) द्वारा की गई रिसर्च में पाया गया है कि अश्वगंधा और प्रोपोलिस यानी शहद की मक्खी से एकत्रित गोंद में ऐसे तत्व हैं, जिनकी मदद से कोरोना का इलाज संभव है।
अश्वगंधा में पाए जाने वाले विथानोन कम्पाउंड और प्रपोलिस में मौजूद कैफीक एसिड फिनेथाइल ईस्टर में SARS-CoV-2 में मौजूद Mpro एंजाइम की गतिविधियों को रोकने की क्षमता है। रिसर्च टीम के मुताबिक अश्वगंधा और प्रोपोलिस का इस्तेमाल न सिर्फ थेरेपी के लिए बल्कि संक्रमण रोकने में भी कारगर साबित होगा।
आईआईटी दिल्ली के बायोकैमिकल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के हेड प्रोफेसर सुंदर का कहना है कि भारत में आयुर्वेद का प्रचलन हजारों साल से है। आईआईटी दिल्ली और एआईएसटी के वैज्ञानिक एक दशक से आधुनिक तकनीक के साथ मिलकर आयुर्वेद के पारंपरिक ज्ञान और प्राचीन चिकित्सा पद्धति पर काम कर रहे हैं।
भारत मे अश्वगंधा समेत कई आयुर्वेदिक दवाओं पर क्लीनिकल ट्रायल किया जा रहा है। हाल ही में भारत सरकार ने आयुष मंत्रायल, स्वस्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रलय, यूनिवर्सटी ग्रांट्स कमीशन और आईसीएमआर की मदद से अश्वगंधा पर क्लीनिकल ट्रायल की शुरुआत की है। आयुर्वेद की मदद से अगर कोरोना के इलाज का ये ट्रायल इंसानों पर सफल होता है, तो ये भारत और दुनिया के सभी देशों के लिए इस महामारी के वक्त में वरदान साबित हो सकती है।