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आयुर्वेद में औषधि समान मानी गई है मिश्री

आयुर्वेद में औषधि समान मानी गई है मिश्री

Published on 07 Jul 2021 by Ayushman Magazine Ayurvedic Pathshala
आयुर्वेद में औषधि समान मानी गई है मिश्री

ऐसे कई लोग हैं जो शक्कर और इससे बने फूड आइटम्स खाने से परहेज करते हैं, क्योंकि इसे बनाने में कई तरह के केमिकल का इस्तेमाल होता है। लेकिन वहीं मिश्री हमारी सेहत के लिए कई तरह से फायदेमंद है। आयुर्वेदिक डॉ. ने इसके कई फायदे गिनाए हैं।
आयुर्वेद में औषधि समान मानी गई है मिश्री।
हम में से बहुत से लोग मिश्री यानी रॉक शुगर को माउथ फ्रेशनर के तौर पर इस्तेमाल करते हैं। कई भारतीय रेस्टोरेंट में इसे भोजन के बाद सौंफ के साथ परोसा जाता है। मंदिरों में भी मिश्री को प्रसाद के तौर पर चढ़ाया जाता है।
मिश्री वो मिठास है जो भगवान श्री कृष्ण को भी माखन के साथ अर्पित की जाती है। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि रॉक शुगर के कई स्वास्थ्य लाभ हैं? आज हम आपको मिश्री के कई स्वस्थ्य लाभों के बारे में जानकारी दे रहे हैं।
आयुर्वेद डॉ. के अनुसार भले ही मिश्री स्वाद में मीठी तो होती ही है, लेकिन इसके सेवन से हमें कई लाभ मिलते हैं, क्योंकि मिश्री में औषधीय गुण भी होते हैं। ये शक्कर के मुकाबले कम केमिकल्स वाली होती है। मिश्री को पारंपरिक तरीके से बनाया जाता और इसलिए इसमें कई तरह के औषधीय गुणों से समृद्ध है।
मिश्री के आयुर्वेदिक लाभ
मिश्री को अपने आहार में शामिल करने के आयुर्वेदिक फायदे भी हैं।
मिश्री आंखों के लिए अच्छी होती है।
थकान को मिठाने के लिए मिश्री सहायक है। आयुर्वेद में थकान को क्षताक्षिनहारा कहा जाता है।
आंखों के लिए अच्छी मानी जाती है।
मिश्री के सेवन से पुरुषों के स्पर्म में सुधार होता है। शुक्रवर्धिका आयुर्वेद में स्पर्म को कहते हैं।
मिश्री बलकारक यानी ताकत बढ़ाती है।
मिश्री खाने से रक्तपित्तहर यानी खून का एसिड लेवल दुरुस्त रहता है।
ये छर्दिघ्न यानी उल्टी और जी मिचलाने की समस्या को दूर करती है।
मिश्रा वातनाशक यानी वात दोष को खत्म कर देती है।
सर्दी, खांसी और जुकाम को दूर कर देती है मिश्री।
एक्सपर्ट्स से समझें मिश्री के फायदे और खाने का तरीका
मिश्री का उत्पादन भी गन्ने के पौधे के जरिए होता है, जो कि स्वभाविक तौर पर एक मीठा खाद्य पदार्थ है। इसे चीनी की सबसे शुद्ध मिठास मानी जाती है, क्योंकि इसमें व्हाइट शुगर की तरह केमिकल का प्रयोग नहीं होता है। डॉक्टर के अनुसार, यह बिना किसी रसायन के चीनी का सबसे शुद्ध रूप है। षडरस भोजन (संपूर्ण आहार जिसमें 6 अलग-अलग स्वाद हों) वो बहुत जरूरी होता है और इसमें मधुर रस यानी मीठे स्वाद की भी खास अहमियत है, उन्हीं में से एक मिश्री है।
इन लोगों को नहीं खानी चाहिए मिश्री
हालांकि उच्च शर्करा स्तर यानी हाई शुगर लेवल, कोलेस्ट्रॉल, हार्मोनल इशु, ऑटोइम्यून जैसी बीमारियों से सूझ रहे लोगों को मिश्री सहित चीनी के सभी खाद्य पदार्थों से बचना चाहिए। बकौल डॉक्टर, ‘बकौल डॉ. ' फ्रूट्स से प्राप्त नेचुरल शुगर सही होती है। इनमेंहिए। कुछ हद तक शहद और मिश्री भी ली जा सकती है, लेकिन ज्यादा नहीं। वैसे आपको मीठे से बचना चाहिए।
कम मात्रा में करने से मिलते हैं लाभ
आइडल तौर पर मिश्री का सेवन कम मात्रा में किया जाना चाहिए। मिश्री को प्रकृति में सात्विक माना जाता है और आयुर्वेद इसे औषधि मानता है। आयुर्वेद में हर चीज की तरह, मिश्री का सेवन सावधानी बरतते हुए संयम से करना करने की सलाह दी गई। अगर इसका सेवन औषधि के रूप में किया जाए तो मिश्री आपके शरीर के लिए काफी सेहतमंद हो सकती है।
मिश्री का उपयोग कैसे कर सकते हैं?
आयुर्वेदिक चिकित्सक ने सुझाव दिया कि आप इसका उपयोग कड़वी दवाओं को निगलने के लिए कर सकते हैं। साथ ही नींबू जैसे फ्रेश ड्रिंक में मिलाकर भी इसका सेवन किया जा सकता है। इतना ही नहीं, यह एक एनर्जी बूस्टर है और खांसी और गले की खराश से राहत दिलाने के साथ-साथ प्रजनन क्षमता में सुधार करता है। डॉ. ने रॉक शुगर को ब्रेस्टफीडिंग यानी स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए भी अच्छा बताया है।