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रहना है निरोग और दीर्घायु तो आयुर्वेद के तरीके अपनाएं

रहना है निरोग और दीर्घायु तो आयुर्वेद के तरीके अपनाएं

Published on 22 May 2020 by Ayushman Magazine Health Tips

रहना है निरोग और दीर्घायु तो आयुर्वेद के तरीके अपनाएं
कोरोना वायरस से भी करेंगे बचाव
कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया में हाहाकार मचा रखा है। कोरोना की दवाई या कोई वैक्सीन न बनने के कारण ये खतरा और भी बढ़ गया है। कोरोना के खतरे के बीच लोगों का ध्यान आयुर्वेद ने आकर्षित किया है, क्योंकि आयुर्वेदिक नुस्खों का प्रयोग कर रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immunity) बढ़ाई जा सकती है और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढऩे से कोरोना वायरस का असर शरीर पर देर से होगा या फिर होगा ही नहीं।
आयुर्वेदाचार्यों का मानना है कि नैमित्तिक रसायन एक महत्वपूर्ण आयुर्वेदीय उपादान है, जिसका प्रयोग न केवल शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है, बल्कि जीर्ण एवं गंभीर रोगों का एक प्रभावशाली इलाज भी है। इसके प्रयोग से मधुमेह, हृदय रोग, कुष्ठ, गठिया एवं कैंसर जैसे रोगों से मुक्ति पाई जा सकती है। बता दें कि पाश्चात्य चिकित्सा पद्धति में असाध्य रोग भी आयुर्वेदीय नैमित्तिक रसायन के प्रयोग से साध्य हो जाते हैं।
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के आयुर्वेद संकाय के अध्यक्ष प्रोफेसर यामिनी भूषण त्रिपाठी ने गुडुच (गिलोय) रसायन के महत्व के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि गिलोय में सभी रोगों से शरीर की सुरक्षा करने के गुण मौजूद हैं। इसके सेवन से हम विभिन्न संक्रमण से बच सकते हैं।
वहीं पुणे के प्रोफेसर विष्णु दत्त अग्रवाल का कहना है कि शरीर नामक हार्डवेयर के मदरबोर्ड के विभिन्न अवयवों की क्षति प्रति दस साल में होती है. जन्म से प्रति दस वर्ष के अनंतर बाल्यावस्था, शारीरिक लंबाई, छवि, मेधा, दृष्टि, बुद्धि आदि भावों में कमी आती है। रसायन औषधियों के नियमित प्रयोग से शरीर में हो रहे इस क्षय को कम किया जा सकता है।
आयुर्वेद के इन आसान तरीकों से बने निरोगी
आयुर्वेद में सबसे पहले गुनगुना पानी पीने की सलाह दी जाती है और ठंडा पानी तब तक न पीने की सलाह दी जाती है, जब तक कि उसकी अत्यधिक जरूरत न हो। इसके बाद प्रतिदिन 30 मिनट तक योगासन एवं प्राणायाम करना भी आयुर्वेद में शामिल किया गया है। हल्दी, जीरा, लहसुन, धनिया जैसे मसालों का प्रयोग भोजन में करने की भी सलाह दी जाती है। इसके अलावा सुबह और शाम नाक में घी या तेल लगाना भी आपकी रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है।
इसके साथ ही खांसी या गले में खरास होने पर लौंग के चूर्ण में गुड़ या शहद मिला कर दिन में दो से तीन बार लेने से समस्या दूर हो जाती है। वहीं तुलसी, दालचीनी, कालीमिर्च, सोंठ से बनी हर्बल चाय या काढ़ा एक से दो बार पीने से भी आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। इसके अलावा 150 मिलीलीटर गर्म दूध में आधा चम्मच हल्दी चूर्ण दिन में एक बार लेना भी लाभकर है।