प्राकृतिक चिकित्सा रोगों का मूल कारण शरीर में जमा गंदगी को मानती है जहां हानिकारक कीटाणु पनपते हैं और रोग पैदा करते हैं। शरीर में गंदगी का मुख्य स्थान पेट, अंातें व कोलोन हैं। पेट, अंातें साफ रहें तो पूरे शरीर का सिस्टम दुरस्त रहेगा। प्राकृतिक चिकित्सा विधि में कटिस्नान पेट के तमाम रोगों में रामबाण का काम करता है। मुख्यत: यह अल्सर, कब्ज, एसिडिटी, मोटापा, गेस्ट्रिक ट्रबल, अफरा, अपच, जैसे रोगों को विनाश करने की ताकत रखता है। चिकित्सक के दिशा-निर्देश पर रोगी की स्थिति अनुसार रोगी को गर्म या ठंडा, ठंडा या गर्म ताजा कटि स्नान दिया जाता है। कटि स्नान का वैज्ञानिक पहलू टब में बैठने पर पूरे शरीर का खून प्रवाह पेट की तरफ तेजी से बहने लगता है। पेट पर तेजी से खून पहुंचने के कारण पेट को भरपूर मात्रा में ऑक्सीजन प्राप्त होने लगती है। फलस्वरूप अंातें तेजी से काम करना प्रारम्भ कर देती है जिससे अंातों में जमा मल आगे की तर$फ खिसकने लगता है। इस दौरान जब पानी को तेज गर्म या तेज ठंडा कर दिया जाता है, तो खून में ठंडे व गर्म तापक्रम के कारण कभी प्रवाह तेज होता है तो कभी कम। इस तेज-धीमे प्रवाह से खून में उपस्थित गंदगी तेजी से आगे की तरफ बढक़र अपना स्थान छोड़ देती है। यही नियम पेट व अंातों के मल पर भी लागू होता है। कटिस्नान से पेट को गर्म ठंडा रख वहां उपस्थित मल को हटाया जाता है। कटिस्नान से मल अपना स्थान छोडक़र आगे खिसक जाता है और हमारा पेट साफ हो जाता है। कटि स्नान पेट के समस्त रोगों में रामबाण उपचार विधि है। इसे प्रतिदिन खाली पेट या खाना खाने के 3 घंटे बाद लिया जा सकता है। कमर दर्द, स्लिपडिस्क रोगी इस स्नान से बचें।
रोग स्थिति/समय राउंड
कब्ज गर्म 8 मिनट ठंडा 3 मिनट तीन राउंडअल्सर गुनगुना 10 मिनट ठंडा 3 मिनट तीन राउंड गेस्ट्रीक ट्रबल गुनगुना 5 मिनट सुबह खाली पेट तीन राउंड एसिडिटी गर्म 10 मिनट ठंडा 5 मिनट दो राउंड मोटापा गर्म 5 मिनट ठंडा 2 मिनट पाचं राउंड अमीबोबाइमिस गर्म 3 मिनट ठंडा 3 मिनट तीन राउंड अपच गुनगुना 20 मिनट सुबह खाली पेट दो राउण्ड पाइल्स गुनगुना 5 मिनट ठंडा 3 मिनट तीन बारसावधानी - कटिस्नानन खाली पेट या खाना खाने के 4 घंटे बाद लें। 2 निर्वस्त्र होकर ही उपचार लें। 3 उपचार के समय हवा के झोकों से बचें। 4 उपचार लेते समय मौन व आंखें बन्द हों।
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