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होली पर लगेगी पलाश, गुलाब और गैंदा के फूलों से बनी गुलाल

होली पर लगेगी पलाश, गुलाब और गैंदा के फूलों से बनी गुलाल

Published on 22 Feb 2020 by Ayushman Magazine News Update

10 क्विंटल गुलाल बाहर बिक्री के लिए भेजी 20 क्विंटल और तैयार की
डूंगरपुर, छग। डूंगरपुर के दिव्यांगों की ओर से फूलों से तैयार की हर्बल गुलाल कई शहरों के लोगों की पहली पसंद बन गई है। दिव्यांग कौशल विकास की ओर से गत वर्ष हर्बल गुलाल बनाकर बतौर नमूने बड़े शहरों में भेजे थे, जो वहां पर काफी पसंद की गई है और वहां से बड़ी मात्रा में इसके आर्डर मिले हैं। एक बरस में ही देश के दिल्ली, मुंबई और गुजरात के बड़े शहरों में डूंगरपुर के हर्बल गुलाल मांग बढ़ गई है। केंद्र के रमेश नागदा ने बताया कि नगर परिषद के सहयोग से करीब दो वर्ष पूर्व नवाडेरा सामुदायिक केंद्र में प्राकृतिक रूप से तैयार किए जा रहे गुलाल की देश के बड़े शहरों में काफी ज्यादा डिमांड हो रही है। होली में इस्तेमाल होने वाले केमिकल रंगों से खराब होते चेहरे को देखते हुए शहर में प्राकृतिक हर्बल रंगों के इस्तेमाल और उपयोग करने की योजना बनी। तत्काल प्राकृतिक हर्बल रंग बनाने का प्रशिक्षण शुरू हुआ। महज 10 दिनों में इस प्रयास ने बड़ा आकर ले लिया और अब शहर में प्राकृतिक हर्बल गुलाल तैयार हो रही है। इसके तहत होली के लिए दिल्ली, मुंबई और गुजरात के बड़े शहरों के व्यापारियों ने पहले से ऑर्डर दे चुके है। अब तक 10 क्विंटल हर्बल गुलाल की पहली खेप भी भेजी जा चुकी है। शुरुआत में 15 दिव्यांगों की टीम ने प्राकृतिक तरीके से हर्बल गुलाल बनाई। वहीं इससे दो गुना तैयार हो गई है।
ऐसे बनती है हर्बल गुलाल
नागदा ने बताया कि प्राकृतिक रंगों के बनाने में कम से कम तीन दिन का समय लगता है। प्रथम चरण में हम मंदिर व मस्जिद और अन्य जगह से मिलने वाले गुलाब, पलाश व गैंदा फूलों को एकत्रित करते हैं। दूसरे चरण में इन फूलों को गर्म पानी में उबालकर इनके प्राकृतिक रंग को अलग कर छानकर एक बड़े बर्तन में गेहूं आटे के साथ मिलाकर पेस्ट बनाया जाता है। इसे छाया में दो से तीन दिनों तक सुखाया जाता है। इसके बाद यह गुलाल की शक्ल ले लेता है।