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Hospital being built at a cost of Rs 47 crore in Tibetan Institute

Hospital being built at a cost of Rs 47 crore in Tibetan Institute

Published on 15 Feb 2020 by Ayushman Magazine News Update

काशी में कैलास पर्वत की जड़ी-बूटियों से होगा इलाज

वाराणसी। देवाधिदेव महादेव की नगरी काशी में कैलास पर्वत की जड़ी-बूटियों से इलाज होगा। इसके लिए सारनाथ स्थित केंद्रीय उच्च तिब्बती शिक्षा संस्थान में 60 शैय्या का सोवा रिग्पा अस्पताल व मेडिकल कालेज स्थापित किया जा रहा है। इसके लिए भवन निर्माण शुरू किया जा चुका है जो ढाई वर्ष में बन कर तैयार हो जाएगा। इसके साथ ही इस प्राचीन तिब्बती चिकित्सा विधा की पढ़ाई तो होगी ही इलाज-जांच व भर्ती भी शुरू कर दी जाएगी।

तीन साल पहले भेजा गया प्रस्ताव

संस्थान ने लगभग तीन साल पहले सोवा रिग्पा अस्पताल के लिए नई दिल्ली स्थित सांस्कृतिक मंत्रालय को प्रस्ताव भेजा था। इसके लिए 47 करोड़ रुपये स्वीकृत करने के साथ ही निर्माण की जिम्मेदारी राष्ट्रीय भवन निगम को दी गई। प्रथम किश्त के तौर पर वर्ष 2018-19 में ही 10 करोड़ रुपये भी जारी कर दी गई थी।

चल रही पढ़ाई लिखाई

संस्थान में फिलहाल बीएसआरएमएस, एमडी व एमएस के पाठ्यक्रम चलाए जा रहे हैैं। प्राचीन चिकित्सा विधा पर शोध कार्य भी किया जा रहा है। अस्पताल शुरू हो जाने से इसे और गति मिल सकेगी।

गंभीर रोगों का इलाज

सोवा रिग्पा के जरिए रक्तचाप, मधुमेह, गठिया, साइटिका, उदर रोग, हृदय रोग, मानसिक व मनोशारीरिक रोग के साथ ही कैंसर जैसी बीमारी का समुचित इलाज संभव है।

अरुणाचल में हर्बल प्लांट

केंद्र के लिए दवा की व्यवस्था के लिहाज से अरुणाचल प्रदेश के तवांग में हिमालय औषधीय पौधों के लिए लगभग छह एकड़ क्षेत्रफल में हर्बल गार्डेन बना रखा है। इसमें औषधीय पौधों की खेती की जाती है। पौधे संस्थान में ले आकर दवाइएं बनाई जाती हैैं।
प्राचीन चिकित्सा पद्धति सोवा-रिग्पा को अपनी अमूर्त सांस्कृतिक विरासत बताते हुए भारत ने पिछले साल यूनेस्को में इस पर दावा जताया है। सोवा-रिग्पा को तिब्बती परंपरा की चिकित्सा माना जाता है। भारत में हिमालय के निकट रहने वाले समुदायों में यह लोकप्रिय है। सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग, लद्दाख व हिमाचल प्रदेश में यह सदियों से उपयोग में आती रही है। केंद्र सरकार लद्दाख में इस तरह का केंद्र स्थापित करने जा रहा है।