JAMNA PHARMA GROUP : JAMNA PHARMACEUTICALS JAMNA HERBAL RESEARCH LTD. | AYUSHMAN MAGAZINE | AYURVEDA CHINTAN

बच्चे क्यों खाते हैं मिट्टी

बच्चे क्यों खाते हैं मिट्टी

Published on 09 May 2020 by Ayushman Magazine Kids Corner

बच्चे क्यों खाते हैं मिट्टी
हम अक्सर छोटे बच्चों को चॉक, पेम या फिर मिट्टी खाते देखते हैं। यह समस्या एक से सात साल के आसपास के बच्चों में अधिक होती है। अधिकांश बच्चे मिट्टी खाना पसंद करते हैं, लेकिन जब उन्हें इसकी आदत लग जाती है, तो इसे छुड़वाना पेरेंट्स के लिये अत्यंत कठिन होता है। आखिर बच्चे मिट्टी या चॉक क्यों खाते हैं? यह जानना भी आवश्यक है।

बच्चे में मिट्टी खाने के सामान्य कारण

  • शरीर के पोषण के लिए विभिन्न पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। पोषक तत्वों की कमी होने पर बच्चे मिट्टी खाना शुरू कर देते हंै। ये तत्व आयरन, जिंक आदि होते हैं। मिट्टी खाना खून की कमी की निशानी है। बच्चों की खुराक में अनाज, दाल, सब्जियों की कमी होने से भी यह दिक्कत आती है।
  •  कैल्शियम की कमी होने पर भी बच्चे मिट्टी खाते हैं। ऐसे में उनकी डाइट में कैल्शियम से भरपूर चीजें जरूर शामिल करें।
  •  कई बार बच्चे ऐसा सिर्फ जिज्ञासावश भी करते हैं। आसपास का वातावरण समझने के लिए वे हर चीज मुंह में डालकर परखने की कोशिश करते हैं और प्राय: अनजाने में मिट्टी खाना प्रारम्भ करते हैं।
  • मस्तिष्क में बनने वाले रसायन के अनियंत्रित होने से।
  • मस्तिष्क में चोट लगने या अन्य मानसिक विकार के कारण भी बच्चे मिट्टी खाते हैं।
  • अभिभावकों द्वारा बच्चे की उपेक्षा या देखभाल के अभाव के कारण भी बच्चे मिट्टी खाते हैं।
  • लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने के लिए भी कुछ बच्चे मिट्टी खाते हैं।

सामान्य लक्षण
बच्चों में मिट्टी व अन्य न खाने वाली चीजों को खाने की आदत पिका रोग (Pica disorder) का एक रूप है, जो बच्चे मिट्टी खाते हैं या पिका रोग से ग्रसित हैं, उनमें निम्न लक्षण दिखाई देते हैं-

  • प्राय: बच्चा नियमित या कुछ-कुछ दिनों के अंतराल के बाद मिट्टी खाता है।
  • ऐसे बच्चे जो मिट्टी खाते हैं, वे चॉक, मुलतानी मिट्टी, साबुन, पेंट आदि भी सामने पाकर खाना शुरू कर देते हैं।

मिट्टी खाने से होने वाले नुकसान
मिट्टी खाने वाले बच्चों में निम्न समस्या देखने को मिलती हैं

  • पोषण की कमी : मिट्टी खाने के कारण बच्चों की पाचन क्रिया विकृत हो जाती है, जिससे शरीर में पोषण की कमी हो जाती है। ऐसे बच्चों का वजन भी प्राय: कम होता है।
  • शारीरिक असंतुलन : मिट्टी में आयरन एवं लैड (द्यद्गड्डस्र) का अंश भी होता है अत: मिट्टी खाने से बच्चों के शरीर में असंतुलन हो जाता है।
  • दांतों को नुकसान : मिट्टी खाने से दांतों पर भी बुरा असर होता है। बच्चों के दांत टूट सकते हैं तथा दांतों पर भी दुष्प्रभाव होता है।
  •  संक्रमण : मिट्टी खाने से विभिन्न प्रकार के कीटाणु शरीर में प्रवेश कर जाते हैं, जिसके कारण विभिन्न प्रकार के संक्रमण का भी खतरा रहता है।
  • कब्ज (constipation) : मिट्टी के साथ जब बच्चा पत्थर जैसी बिना पचने वाली चीजें खाता है, तो इससे बच्चे की आंतों में रुकावट आने से बच्चे को कब्ज की शिकायत हो जाती है।
  • लिवर एवं किडनी पर प्रभाव : जैसा ऊपर बताया गया है कि मिट्टी खाने से विभिन्न प्रकार के कीटाणु शरीर में प्रवेश कर जाते हैं और विभिन्न प्रकार के संक्रमण हो जाते हैं। कुछ संक्रमण की वजह से लिवर एवं किडनी पर भी प्रभाव पड़ता है।
  • मस्तिष्क क्षतिग्रस्त होना : मिट्टी व अन्य गैर खाद्य पदार्थों में मौजूद लैड और अन्य विषाक्त तत्वों को खाने से बच्चे के शरीर में विषाक्तता बढ़ जाती है। इसकी वजह से बच्चों में मस्तिष्क क्षतिग्रस्त होने की आशंका रहती है।

बच्चे को ऐसे बचाएं मिट्टी खाने से

  • अगर बच्चा मस्तिष्क संबंधी समस्या के कारण मिट्टी खाता है, तो बच्चे को योग्य चिकित्सक से उपचार दिलवाना चाहिए।
  • अभिभावक की उपेक्षा व लापरवाही के कारण बच्चे को मिट्टी खाने की आदत है, तो अभिभावक को चाहिए कि वे अपने बच्चे की उपेक्षा न करें, उसे पर्याप्त समय दें।
  • बच्चे को उसकी इच्छानुसार चीजें खाने को दें। खाने की चीजें ऐसी जगह रखें, जहां से बच्चा आसानी से उठाकर खा सके।
  • बच्चे को स्वस्थ आहार खाने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। बच्चे को पौष्टिक आहार ही खाने में देना चाहिए।
  • बच्चे को खेल-खेल में मिट्टी खाने से होने वाले दुष्प्रभाव के बारे में बताना चाहिए।

घरेलू नुस्खे

  • बच्चे को प्रतिदिन केला एवं शहद देना चाहिए जिससे मिट्टी खाना छोड़ देता है।
  •  प्रतिदिन रात के समय गुनगुने पानी के साथ एक चम्मच अजवायन चूर्ण देना चाहिए, इससे बच्चा मिट्टी खाना छोड़ देता है।
  • लौंग पीसकर 1 कप पानी में उबाल कर, बच्चे को एक-एक चम्मच तीन समय दें। ऐसा कुछ दिनों तक करने से बच्चा मिट्टी खाना छोड़ देगा।
  • बच्चे को अंगूर, खजूर, पालक, अनार, सेब आदि खिलाना चाहिए।
  • पेट में कीड़े होने पर भी बच्चे मिट्टी खाते हंै। अत: आम की गुठली की गिरी का चूर्ण पानी में मिलाकर बच्चे को दें, इससे पेट के कीड़े मर जाते हैं।
  • कैल्शियम की कमी से भी बच्चे मिट्टी खाते हैं। अत: बच्चे को कैल्शियम पूर्ति के लिए दूध, बादाम, हरी सब्जियां खाने में देना चाहिए।
  • बच्चे को दाल, खिचड़ी, दलिया, खीर, बिस्किट, दही खिलाना चाहिए। 2 वर्ष की उम्र तक बच्चे को मां का दूध जरूर पिलाना चाहिए।

आयुर्वेदिक चिकित्सा
नवायस लौह, विडंग, त्रिफला चूर्ण, पुनर्नवा मण्डुर, गोदंती भस्म, कुकुटाण्डत्वक भस्म, कर्पदिका भस्म, अरविन्दासव, कृमिमुद्गर रस, कृमि कुठार रस आदि औषधियों का प्रयोग चिकित्सक की सलाह अनुसार करना चाहिए।
मेडिकल ऑफिसर
आयुर्वेद गवर्नमेंट आयुर्वेद हास्पिटल
दोसोद, नीमराना, अलवर, राजस्थान