ग्वालियर। एक दौर था जब लोग रोजगार की तलाश में शहर की ओर भाग रहे थे, लेकिन आज युवा लाखों के पैकेज को छोडक़र गांव का रूख कर रहे हैं। उच्च शिक्षा की डिग्री और हाथ में लाखों का पैकेज होने के बाद भी ये युवा अपने इनोवेटिव आइडिया और नई तकनीक के जरिए खेती कर रहे हैं और उनका यह कदम ग्रामीण अंचल के किसानों को लाभ दिला रहा है। इन युवाओं ने खेती को बेहतर बनाने के साथ स्वास्थ्यप्रद बनाने का बीड़ा भी उठाया है। सही शिक्षा के अभाव में कई किसान केमिकलयुक्त पेस्टिसाइड्स का इस्तेमाल करते हैं। इससे निकलने वाली फसल स्वास्थ्य के लिए तो हानिकारक होते ही हंै, साथ ही साथ यह जमीन को भी नुकसान पहुंचाते हैं। इसे देखते हुए ये युवा अपने-अपने क्षेत्रों में किसानों को ऑर्गेनिक फार्मिंग (जैविक खेती) के लिए भी प्रोत्साहित कर रहे हैं। वे किसानों को बता रहे हैं कि किस तरह वे प्राकृतिक संसाधनों का इस्तेमाल कर अच्छी खेती कर सकते हैं।फसलों की सही कीमत दिलाने में भी कर रहे मददएक ओर युवा किसानों को जैविक खेती के लिए प्रोत्साहित और प्रशिक्षित कर रहे हैं, तो दूसरी ओर वे उन्हें अपनी फसलों को सही दाम पर बेचने के तरीके भी सिखा रहे हैं। अधिकांश किसान अपनी फसल को कच्चे माल के रूप में ही बेच देते हैं। अन्य व्यापारी इस कच्चे माल को प्रोडक्ट में बदलकर कई गुना मुनाफा कमाते हैं। युवाओं की कोशिश है कि किसानों को लघु एवं मध्यम उद्यम स्थापित करने की जानकारी देकर फसल को प्रोडक्ट में प्रोसेस करने के लिए प्रेरित करें।किसानों को दे रहे प्लेटफार्मसिविल इंजीनियर अनिल सिंह तोमर आईआईटी दिल्ली में रिसर्च कर चुके हैं। अब वे किसानों को ऑर्गेनिक फार्मिंग के लिए गांव-गांव जाकर ट्रेनिंग दे रहे हैं। साथ ही उन्हें उनकी फसलों का सही दाम मिल सके जिसके लिए प्लेटफार्म तैयार कर रहे हैं। उनका कहना कि वे जब किसान खेती करने से पहले ही कंज्यूमर से फसल के दाम निश्चित कर लेते हैं। इससे भविष्य में किसान का नुकसान नहीं होता है। साथ ही गांव में अनाज के लिए कलेक्शन सेंटर तैयार कर रहे हैं। वॉट्सएप और फेसबुक के माध्यम से भी उन्हें सही दाम दिलाया जाता है।70 किसानों को जोड़ा अपने स्टार्टअप सेइलेक्ट्रोनिक्स इंजीनियर मनोज उपाध्याय टीसीएस में असिस्टेंट कंसल्ट हैं और 18 लाख से ज्यादा का सालाना पैकेज पर कार्यरत हैं। जॉब के साथ वे अपना स्टार्टअप खोलकर हर्बल और हेल्दी फूड प्रोडक्ट्स तैयार कर रहे हैं। 70 किसानों को अपने स्टार्टअप से जोड़ चुके हैं। अब किसानों को अपनी फसलों से दुगुना फायदा दिला रहे हैं। किसान अपनी फसल मंडी में बचने के साथ इसे रॉ मटेरियल के रूप में भी सप्लाई कर रहे हैं। मनोज अपने स्टार्टअप में शुगर फ्री प्रोडक्ट, प्रोटीन सोर्स प्रोडक्ट, जीरो कैलोरीज प्रोडक्ट आदि तैयार कर रहे हैं।देसी बीज और खाद्य कर रहे तैयारमार्केट में आने वाले बीज कितने फसलों के लिए कितने उपजाऊ हो सकते हैं, यह गारंटी लेना थोड़ा मुश्किल हो सकता है। इसलिए अमेरिका की आईटी कंपनी में 70 लाख के पैकेज पर कार्यरत आईटी इंजीनियर अनूप सिंह परमार अब घर आकर अपने परिवार के साथ खेती में हाथ बंटा रहे हैं। नेचुरल खाद और बीज तैयार कर रहे हैं। उन्हीं बीजों से फसल को उगाकर अपने प्रोडक्ट की होम डिलीवरी भी करते हैं।
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