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ये बदलाव का दौर है

ये बदलाव का दौर है

Published on 30 May 2020 by Ayushman Magazine Diet Plan
  • ये बदलाव का दौर है
  • आयुर्वेद अपनाएं स्वस्थ रहें मस्त रहें

पाश्चात्य संस्कृति को अपने जीवन का हिस्सा बनाने के बाद हम तेजी से जीवनशैलीजनित बीमारियों (जैसे मधुमेह, हृदयरोग, मोटापा, श्वांस रोग) की गिरफ्त में आए हंै। आमतौर पर जीवनशैली के रोगों को खान-पान की आदतों, काम और आराम की स्थितियों, तनाव-दबाव तथा सेहतमंद जलवायु परिवेश (जैसे- साफ हवा-पानी की उपलब्धता) के साथ जोड़कर देखा जाता है, लेकिन अचानक फैलने वाले संक्रामक रोग अधिक घातक साबित होते हैं क्योंकि इसमें अधिक संख्या में मौतें एक साथ होती हैं जैसे वर्तमान में कोरोना वायरस के कारण पूरे विश्व में लाखों लोग असमय अपनी जान गंवा चुके हैं। यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि भारत में अन्य देशों के मुकाबले मृत्युदर काफी कम है। इसका एक बड़ा कारण है भारतीय संस्कृति का खानपान जो हमारे इम्युन सिस्टम को स्ट्रॉंग रखता है, जिसके फलस्वरूप हम काफी हद तक बीमारियों से बचे रह सकते हैं। चूंकि कोरोना वायरस लंबे समय तक रहने वाला है, ऐसे में यह तो स्पष्ट है कि मानव जीवनशैली पूरी तरह बदल जाएगी या यूं कहें कि हमें स्वस्थ और जीवित रहने के लिए अपनी जीवनशैली में बदलाव लाना ही होगा। इस बदलाव का एक सकारात्मक असर यह भी होगा कि जीवनशैलीजनित बीमारियां भी काफी कम हो जाएंगी।
वर्तमान में वायरसजनित कोरोना व्याधि के लगातार बढ़ते फैलाव ने जहां एक तरफ चिंता का माहौल बनाया है, वहीं दूसरी तरफ भारतीय पारंपरिक जीवनशैली, योग तथा आयुर्वेद की महत्ता को भी उजागर किया है। आने वाला समय बदलाव का दौर है जहां हम वापस अपने प्राचीन आचार-विचारों को अपनी जीवनशैली में शामिल करेंगे या कहें वायरस काल में इसे हमने कुछ हद तक अपना भी लिया है।
व्यस्त लाइफस्टाइल में हेल्दी फूड हमारी थाली से गायब हो गये यानी शरीर के लिए जरूरी आवश्यक पौष्टिक तत्वों का पूरी तरह से अभाव हो गया। शरीर को जरूरी पौष्टिक न मिलने से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है परिणामस्वरूप डायबिटीज, कैंसर, मोटापा जैसी बीमारियों को आसानी से न्यौता मिल जाता है।
अगर अभी भी हमने जीवनशैली में बदलाव नहीं किया तो हमें जीवनशैलीनित रोगों के साथ ही कोरोना से मुकाबला करने के लिये भी तैयार रहना होगा। फिलहाल तो लोग कोरोना से सावधान हो रहे हैं और अपनी जीवनशैली में बदलाव भी ला रहे हैं।
अब जब लोग अपने खानपान व रहन-सहन में बदलाव लाएंगे और फास्ट फूड के स्थान पर घर में बने पौष्टिक भोजन को प्राथमिकता देंगे तो, हृदयरोग, मोटापा, मधुमेह, कैंसर और पेट आदि रोगों में न्यूनता देखने को मिलेगी।
पर्सनल हाइजीन के प्रति लोग अधिक जागरूक होंगे और मांसाहार से दूर रहने के प्रयास सार्थक होंगे। मास्क के इस्तेमाल के कारण धूल-धुएं की एलर्जी के साथ-साथ श्वसन तंत्र (क्रद्गह्यश्चद्बह्म्ड्डह्लशह्म्4 स्4ह्यह्लद्गद्व) संबंधी रोगों में भी कमी आएगी।
अब चूंकि वर्षा ऋतु आने वाली है और इस ऋतु में कोरोना संक्रमण बढऩे की आशंका भी जताई जा रही है इसीलिए हृदयरोग, मधुमेह और श्वसन तंत्र की बीमारियों से ग्रस्त लोगों को अधिक सावधान रहना होगा। ध्यान रहे कि अब कोरोना वायरस के साथ रहना हमारी विवशता हो गई है। हमें हरहाल में इन सबसे स्वयं को सुरक्षित रखना ही होगा और कोरोना के साथ ही अन्य रोगों से बचाव हेतु आयुर्वेदजनित जीवनशैली अपनाना और आंतरिक प्रतिरोधक क्षमता को बेहतर बनाना अति आवश्यक है।
हमारा प्राचीन चिकित्सा विज्ञान आयुर्वेद तीन मूलभूत सिद्धांतों पर जोर देता है-आहार-खुराक, विहार-लाइफस्टाइल और औषध-दवाई। आरोग्य प्राप्ति एवं संतुलित जीवन हेतु समुचित आहार (फूड), विहार (एक्टिविटी), आचार (हेबिट्स) एवं विचार (थॉट्स) आवश्यक हैं।
उचित आहार के अन्तर्गत
सदैव गरम पानी का सेवन करें। नीबू का सेवन करें।
अंकुरित अनाज, सलाद, हरी सब्जियोंं का सेवन अधिक करें।
जंक फूड का सेवन न करें।
सुबह का नाश्ता व लंच हेवी करें व रात का भोजन हल्का करें।
दही, उड़द, आदि कफवर्धक पदार्थों का अति सेवन न करें।
कटु एवं कसैले पदार्थों का अधिक सेवन करें।
ब्लैक टी में गुड़ मिलाकर पिएं। इससे शरीर की शुद्धि होगी और साथ ही शरीर में आयरन की पूर्ति भी होगी।
उचित विहार के अन्तर्गत
पर्याप्त निद्रा लें।
योगासन व प्राणायाम जरूर करें।
मल-मूत्र के आए हुए वेगों को धारण न करें।
बाहर से लाई वस्तुओं को अनावश्यक रूप से फ्रिज में न रखें।
फल एवं सब्जियों को गर्म पानी से अच्छी प्रकार धोकर ही उपयोग करें।
इसके अलावा
असंगत या विरुद्ध भोजन लेने से बचें जैसे दूध और नमक, शहद और घी सम मात्रा में, दही और दूध तथा फल और दूध साथ में न लें।
भोजन की मात्रा भी महत्वपूर्ण है- भोजन करने के भी नियम होते हैं। यह नहीं कि पेट भरना है तो चाहे जब खा लिया और चाहे जब भूखे रह लिये। भोजन हमेशा अपनी खुराक से आधा पेट खाना चाहिए।
कोरोना वायरस की चुनौतियों का सामना करने के लिए हमें विरासत में प्राप्त भोजन की भारतीय संस्कृति का पालन करते हुए अपनी जीवनशैली और भोजन की आदत बदलने की आवश्यकता है। वायरस संकट के दौरान शारीरिक मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखने के साथ-साथ सकारात्मक सोच रखें। भारतीय संस्कृति के मूल्यों को अपनाएं। आयुर्वेद हमारी अमूल्य निधि है। प्राकृतिक तरीके से जीने और खानपान की आदत सुधार लाकर अपनी इम्युनिटी बढ़ाकर स्वस्थ रहें। आयुष विभाग की गाइडलाइन का पालन जरूर करें।
रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली आयुर्वेदिक औषधियां
1. इम्यूनो बी कैप्सूल 1-1 सुबह-शाम कुनकुने जल से लें।
2. गिलोय घनवटी 1-1 सुबह-शाम लें।
वैद्य सुषेन माहेश्वरी