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बच्चों में मलेरिया

बच्चों में मलेरिया

Published on 16 Mar 2020 by Ayushman Magazine Kids Corner

भारत में मच्छरों की वजह से होने वाली एक आम बीमारी है मलेरिया। बुखार, ठंड लगना और पसीना आना इसके विशेष लक्षण हैं। बच्चों में मलेरिया एक गंभीर बीमारी हो सकती है, विशेषकर पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों में।
मलेरिया कैसे फैलता है ?
मलेरिया मादा एना$िफलीज़ नामक मच्छर के काटने फैलता है। डेंगू और चिकनगुनिया के मच्छर जहां दिन में काटते हैं, वहीं मलेरिया के मच्छर आमतौर पर रात में काटते हैं। संक्रमित खून चढ़ाने से भी मलेरिया हो सकता है।
क्या मलेरिया मौसमी बीमारी है ?
मलेरिया वर्ष भर में कभी भी हो सकता है, किन्तु वर्षा-ऋतु में इसके मामले तेजी से बढ़ते हैं। इसका कारण यह है कि गर्म- आद्र्र मौसम और ठहरा हुआ पानी मच्छरों को पनपने के लिए उपयुक्त वातावरण प्रदान कराते हैं।
भारत में मलेरिया व्यापक तौर पर फैलता है खासकर महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान और कर्नाटक जैसे राज्यों में यह आम है। देश के उत्तरी-पूर्वी क्षेत्र के पहाड़ी इलाकों में मलेरिया के काफी कम मामले सामने आते हैं।
मलेरिया के लक्षण
जन्म के पहले दो महीनों में शिशु को मलेरिया होने की आशंका नहीं होती है। गर्भावस्था के दौरान मां से मिली प्रतिरक्षण क्षमता की वजह से ऐसा होता है। जैसे-जैसे शिशु बड़ा होता जाता है, उसकी प्रतिरक्षण क्षमता कम होने लगती है और उसे मलेरिया होने का खतरा बढऩे लगता है।
पांच साल से कम उम्र के बच्चों में मलेरिया अधिक गंभीर होता है। संक्रमित मच्छर के काटने के 10 दिन से चार से सप्ताह बाद इसके लक्षण दिखाई देने लगते हैं। अगर, आपके बच्चे की उम्र पांच साल से कम है, तो आपको इन लक्षणों पर नजर रखनी चाहिए:
बुखार।
कंपकंपी।
जुकाम।
चिड़चिड़ापन।
उनींदापन।
भूख कम लगना।
ठीक से नींद न आना।
उल्टी।
पेट दर्द।
बुखार के स्थान पर शरीर का तापमान सामान्य से कम होना।
तेजी से सांस लेना।
अगर बच्चा पांच साल से बड़ा है, तो उसे मलेरिया होने पर वयस्कों के समान ही लक्षण दिखाई देंगे। जैसे
तेज बुखार, कई बार 48 घण्टों के चक्र में पहले कंपकंपी और फिर अत्यधिक पसीना।
सिरदर्द।
ठंड लगना।
मितली और उल्टी।
बदन दर्द ।
भूख न लगना।
बच्चे में मलेरिया के लक्षण दिखाई दें, तो क्या करें ?
मलेरिया के अधिकांश लक्षण फ्लू, डेंगू और चिकनगुनिया जैसे ही होते हैं, इसलिये अगर आपके बच्चे को तेज बुखार हो और ठंड लगे, तो आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। केवल खून की जांच से ही मलेरिया होने की पुष्टि हो सकती है। शिशु को सुरक्षित रखने का बेहतर तरीका है कि चिकित्सक के पास यथाशीघ्र पहुंचा जाये।
अगर शिशु को मलेरिया होने की पुष्टि हो, तो उसे जरूरत होगी:
पर्याप्त आराम की।
हल्के और स्वस्थ भोजन की।
बुखार कम करने के लिये बार-बार गीले कपड़े की पट्टियां रखने की।
अगर बच्चे को दौरे पड़ रहे हों, शरीर में पानी की कमी या बेहोशी सी लग रही हो, तो उसे तुरन्त अस्पताल में भर्ती करना पड़ सकता है। मलेरिया के कारण शिशु 10 दिन तक बीमार रह सकता है।
शिशु पर मलेरिया के क्या दीर्घकालीन प्रभाव होते हैं?
इस क्षेत्र में अभी और अधिक शोध की जरूरत है। कुछ अध्ययनों के मुताबिक बच्चों में गंभीर रूप से मलेरिया होने पर उनके मस्तिष्क की कार्यप्रणाली पर असर पड़ सकता है। इसलिये आवश्यक है कि बच्चे को मलेरिया होने की जरा सी भी आशंका हो तो यथाशीघ्र चिकित्सक की सलाह ली जाए।
हम शिशु को मलेरिया होने से कैसे बचा सकते हैं?
चूंकि यह बीमारी मच्छरों की वजह से होती है, इसलिये मच्छरों को दूर रखना जरूरी है। अपने घर और आसपास के इलाकों में मच्छरों को पनपने न दें, पानी जमा न होने दें, पानी की टंकी में थोड़ा सा मीठा तैल डालें, बारिश के मौसम में पुराने गमले, फूलदान, कूलर आदि हटा दें।
नीचे दिये गये एहतियाती कदम भी उठा सकते हैं:
बच्चों को हल्के रंग के कपड़े पहनाएंं।
पूरे शरीर को ढंकने वाले कपड़े पहनाएं, ताकि मच्छर त्वचा तक न पहुच सकें।
नीबू घास, गंजनी, देवदार, लैवेण्डर, नीम, नीलगिरी आदि मच्छर निरोधक सुगंधों का इस्तेमाल करें।
सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करें।
दरवाजों और खिड़कियों पर मच्छर जाली लगवाएं।
पार्क में बच्चों को बाड़ के पास न जाने दें इन्हीं स्थानों पर सामान्य तौर पर मच्छर होते हैं।