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हर्बल इलाज से खुलकर सांस लेने लगी मंदाकिनी नदी, प्रदूषण कम होने से निर्मल हुआ पानी

हर्बल इलाज से खुलकर सांस लेने लगी मंदाकिनी नदी, प्रदूषण कम होने से निर्मल हुआ पानी

Published on 22 Feb 2020 by Ayushman Magazine News Update

शुरुआती दौर में एक किमी क्षेत्र में जैविक दवा के इलाज से बदलने लगे हालात नदी
की अविरलता और निर्मलता बढऩे की उम्मीद
चित्रकूट। देश-दुनिया के करोड़ों लोगों की आस्था का केंद्र और चित्रकूट की जीवन रेखा मंदाकिनी नदी का दम अब प्रदूषण से नहीं घुटेगा। हर्बल संजीवनी से मंदाकिनी को फिर सांसें मिलने लगी हैं। मध्यप्रदेश क्षेत्र में इंदौर की कंपनी के एक किमी क्षेत्र में हर्बल इलाज शुरू करने के बाद हालात बदलने लगे हैं और नदी की अविरलता-निर्मलता बढऩे की उम्मीद जागी है।
जलीय पौधे व शैवाल हुए खत्म
एमपी सरकार ने इंदौर की कंपनी को एक लाख रुपये में ठेका देकर शुरू कराए गए जैविक (हर्बल) दवा के इलाज से जलीय पौधे व शैवाल नष्ट होने लगे हैं। प्रथम चरण में नया गांव पुल से नगर पालिका कार्यालय चित्रकूट सतना मध्यप्रदेश तक मंदाकिनी के एक किमी हिस्से में प्रयोग सफल होने से बेहतरी की उम्मीद जगी है। अब अगले चरण में जल्द उद्गम स्थल सती अनुसुइया आश्रम से राम घाट कर्वी तक इलाज होगा।
ऐसे होता हर्बल उपचार
मंदाकिनी का हर्बल इलाज सप्ताह में तीन दिन होता है। एक दिन के अंतराल में कंपनी के कर्मचारी पांच हजार लीटर पानी के टैंकर में जैविक (हर्बल) दवा की कुछ बूंदें मिलाकर मंदाकिनी में डालते हैं। इससे जलीय घास गल कर काई बनती है, जिसका भोजन मछलियां करती हैं। इससे ऊपरी सतह से निचले तल तक गंदगी खत्म होती है। नदी के पानी को प्रत्येक सप्ताह जांच के लिए रीवा और जबलपुर की प्रयोगशाला में भेजा जा रहा है। तीन सप्ताह में रिपोर्ट के आधार पर गुणवत्ता में सुधार की बात प्रथम²ष्टया पता चली है।
-मंदाकिनी के जल की गुणवत्ता सुधारने को लेकर प्राथमिक रिपोर्ट में सकारात्मक संकेत मिले हैं। विस्तृत रिपोर्ट मिलने पर पूरी नदी में अभियान चलाएंगे। इससे छह माह में नदी की धारा निर्मल होने की उम्मीद है।
-रमाकांत शुक्ला
मुख्य नगर अधिकारी नगर पालिका
चित्रकूट सतना मध्यप्रदेश।