मैं जिस विषय पर आज बात करना चाहती हूं, वह देश की आधी आबादी के स्वास्थ्य से जुड़ी है। देश की आधी आबादी यानी मातृ शक्ति, माँ..........यानी संतानोत्पत्ति की अहम क्रिया, यह क्रिया जुड़ी है माहवारी से। माहवारी, वह प्रक्रिया जिसके अभाव में कदाचित् सृष्टि का क्रम ही रुक जाता, लेकिन यही माहवारी तीज-त्यौहार एवं शादी-ब्याह के अवसरों पर महिलाओं के लिए परेशानी का कारण बन जाती है क्योंकि हमारे देश में आज भी माहवारी को छुआछूत का विषय माना जाता है। ऐसी परेशानियों से बचने के लिए महिलाएं पीरियड्स आगे बढ़ाने के लिए गोलियों का सहारा लेती हैं, जो स्वास्थ्य के लिये हानिकारक है।
कुछ वर्ष पहले तक बहुत अच्छा था क्योंकि विज्ञान ने इतनी तरक्की नहीं की थी कि इस प्राकृतिक प्रक्रिया को रोका जा सके या कुछ दिन के लिए स्थगित किया जा सके। न जाने इस खतरनाक आविष्कार के पीछे क्या अच्छी मंशा रही होगी यह तो मैं नही जानती किंतु आज हर पांचवी महिला इस आविष्कार को अपनाकर अपनी जिंदगी से समझौता कर रही है।
महिलाओं को आमतौर पर 24 दिनों बाद हर महीने पीरियड्स के दर्द से गुजरना पड़ता है। महिलाएं उस वक्त अधिक परेशान हो जाती हैं, जब उन्हें कहीं ट्रिप, धार्मिक उत्सव या शादी में जाना हो। तय कार्यक्रम के ठीक पहले पीरियड्स आने से उनका सारा प्लेन ही बिगड़ जाता है। ऐसे में फंक्शन्स को अच्छे से एंजॉय करने के लिए बहुत सी महिलाएं इन दवाइयों का सेवन कर लेती हैं ताकि पीरियड्स डेट को आगे बढ़ा दिया जाए, लेकिन बार-बार ऐसा करना आपकी सेहत को नुकसान पहुंचा सकता है।
आमतौर पर पीरियड साइकिल 24 दिनों का होती है पर डॉक्टर्स मानते हैं कि 28 से 38 दिनों के बीच पीरियड्स आना भी नॉर्मल है। मासिक धर्म दो हार्मोन्स, एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरॉन पर निर्भर करता है। ये दवाइयां इन हार्मोन्स के प्राकृतिक चक्र को प्रभावित करती है जिससे माहवारी स्थगित हो जाती है। आश्चर्य की बात यह भी है कि कोई भी चिकित्सक कभी किसी महिला को ये दवाइयांं खाने की सलाह नहीं देता, आत्मिक रिश्ते के कारण दे भी देता है तो अपनी पर्ची में लिखकर नहीं देता क्योंकि वह बहुत अच्छी तरह से इनके दुष्प्रभावों को जानता है।
विडम्बना किंतु यह है कि हर एक फार्मेसी पर ये आसानी से उपलब्ध हैं। महिलाएं अन्य किसी दवा के बारे में जाने या न जाने, इस दवा के बारे में अवश्य जानती हैं क्योंकि इसके दम पर वे नियत दिन पूजा-पाठ कर सकती हंै, किसी धार्मिक स्थान पर जा सकती है, पारिवारिक शादी में सबके साथ उठ-बैठ सकती है। ऐसे ही अनेक कार्य जो माहवारी के दौरान करना निषेध है, इस एक दवा को खाकर बड़े आराम से कर सकती हैं। सहूलियत इतनी है कि वह अपनी मर्जी के हिसाब से चाहे जितने दिन अपनी माहवारी को रोक सकती है। मेरे अनुभव के अनुसार शायद ही कोई महिला मिले जिसने इस दवा का सेवन न किया हो।
सवाल यह है कि यह एक दवा जब सब कुछ इतना आसान कर देती है तो फिर मुझे क्या आपत्ति है। तो मैं आपको अवगत करा दूं कि यह बहुत खतरनाक है। उतना ही, जितना देह की स्वाभाविक क्रिया शौच या पेशाब को किसी कारण से रोक देना। एक रिसर्च बताती है कि तीज त्यौहारों के अवसर पर इन औषधियों की बिक्री अधिक बढ़ जाती है।
महिलाएं या तो जानती नहीं या जानते समझते इस बात को नजरअंदाज करती हैं कि वे ऐसा करके बीमारियों को न्यौता दे रही हैं। ब्रेन स्ट्रोक जिनमें सबसे कॉमन बीमारी है। कब ये महिलाएं अवसाद का शिकार होती हंै, कब कोमा में चली जाती हंै, कब आत्महत्या तक के फैसले ले लेती हैं, कोई जान ही नहीं पाता। इसके साथ-साथ अतीत में इन दवाइयों का अति इस्तेमाल कर चुकी महिलाएं अक्सर तीस-पैंतीस की उम्र में ही मीनोपॉज पा चुकी होती हैं।
चंूकि ये गोलियां दवा दुकानों में आसानी से उपलब्ध हैं, यही कारण है कि महिलाओं को जब लगता है कि ये गोलियां लेनी चाहिए वे बिना डॉक्टर की सलाह से ले लेती हैं जबकि किसी भी दवा लेने से पहले रोगी का इतिहास जानना बहुत महत्वपूर्ण है। अगर किसी महिला को वर्टिगो या माइग्रेन, स्ट्रोक, ब्लड प्रेशर, मोटापा जैसी समस्या है, तो ये गोलियां उसके स्वास्थ्य को गंभीर खतरा पहुंचा सकती हैं।
पीरियड्स रोकने वाली दवाइयों के साइड इफेक्ट्स
अनियमित पीरियड्स- इन दवाइयों से अनियमित पीरियड्स की समस्या हो सकती है। दरअसल, जब 28-30 दिन का चक्र बिगड़ता है, तो ओव्यूलेशन में गड़बड़ी हो जाती है जिसका प्रजनन प्रणाली पर दुष्प्रभाव पड़ता है।
हैवी ब्लीडिंग- कई बार इन दवाइयों के सेवन से भी पीरियड्स शुरू होने का खतरा बना रहता है। इतना ही नहीं, शरीर को नुकसान भी होता है। दरअसल पीरियड्स बंद करने वाली दवाइयों के सेवन से कई महिलाओं को हैवी ब्लीडिंग होने लगती है और बहुत ज्यादा दर्द होता है।
दस्त या उल्टी की समस्या- पीरियड्स में दवाइयां लेने से पेट से जुड़ी कई तरह की परेशानियां जैसे दस्त, उल्टी की समस्या ज्यादा बढ़ जाती है और बाद में अनियमित पीरियड्स की वजह से चक्कर आना, कमजोरी जैसी समस्याएं भी पैदा हो जाती हंै।
हॉर्मोन इम्बलेंस होने का खतरा-बार-बार पीरियड्स रोकने के लिए दवाइयां लेने से हार्मोन इम्बलेंस हो जाते हैं जिसके कारण पीरियड्स 2 महीने या इससे भी ज्यादा समय के बाद आना शुरु हो जाते हैं। ऐसे में जितना हो सके, इनके सेवन से बचना चाहिए। अगर आपको पीरियड्स के दौरान बहुत दर्द होता है, तो बिना चिकित्सक की सलाह से इन दवाइयों का सेवन करना सेहत पर भारी पड़ सकता है।
गर्भधारण करने में परेशानी-अगर आप गर्भधारण के बारे में सोच रही हैं, तो पीरियड्स के दौरान दवाइयों का इस्तेमाल बिल्कुल न करें। इनका सेवन प्रेग्नेंसी में अड़चने पैदा कर सकता है। इतना ही नहीं, डिलीवरी के दौरान हैवी ब्लीडिंग की परेशानी खड़ी हो सकती है जिससे मां और बच्चे की सेहत पर बुरा असर पड़ता है।
मोटापा और डायबिटीज- अगर आप डायबिटीज या मोटापे से ग्रस्त हैं, तब भी इन दवाइयों के सेवन से बचें क्योंकि इससे आपकी समस्या और अधिक बढ़ जाएगी।
अन्य साइड-इफैक्ट- इन दवाइयों के सेवन से इसके अलावा एलर्जी (त्वचाजन्य), वेरीकोज वेन्स, पीली त्वचा, माइग्रेन (सिरदर्द), पेट व आंत पर बुरा प्रभाव, सिस्ट या ट्यूमर, पीसीओडी, दिल में रक्त की आपूर्ति पर दुष्प्रभाव, बालों पर दुष्प्रभाव, अवसाद, अनिद्रा, तनाव, चिड़चिड़ापन, चेहरे पर बाल आना, अनियंत्रित-अनियमित मासिकस्राव, गर्भाशयजन्य विकृतियां जैसे लक्षण भी दिखाई देते हैं।
एक डॉक्टर होने के नाते मेरा सभी महिलाओं से निवेदन है कि प्रकृति के बनाए शारीरिक चक्र से छेड़छाड़ न करें। पीरियड्स अशुद्धता नहीं है, यह तो प्रकृति की देन है इसीलिए चाहे धर्म, पर्व, परिवार, भोज आदि कुछ भी परिस्थितियां हों, अपनी सेहत से खिलवाड़ न करें। यह तो वह नेमत है, जो भगवान से सिर्फ हमें यानी महिलाओं को ही वरदान स्वरूप मिली है। यह नारीत्व के लिए गर्व करने योग्य है। आप स्वयं सोचिए आदिकाल की मान्यताओं के आधार पर क्या हमें अपने स्वास्थ्य को जोखिम में डालना चाहिए?
डॉ. नेहा रेजा
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