आहार हमारे जीवन का आधार हैै। बेहतर स्वास्थ्य के लिये संतुलित आहार लेना अत्यंत आवश्यक है। आहार छ: घटकों कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, $फेट, विटामिन, मिनरल व पानी से मिलकर बना होता है अर्थात् हमारे ग्रहण किए जाने वाले भोजन में ये छ: घटक पाये जाते हैं। इन सभी घटकों में मिनरल एक अत्यंत महत्वपूर्ण घटक होता है, जो बहुत ही सूक्ष्म मात्रा में आहार में पाया जाता है। सूक्ष्म मात्रा के बावजूद भी यह मिनरल्स शरीर को अनेक रोगों से बचाते हैं। अत: इन मिनरल्स को प्रतिदिन एक निश्चित मात्रा में आहार द्वारा लिया जाना अति आवश्यक है। कैल्शियम
यह सभी प्रकार के मिनरलों में एक अत्यंत ही जरूरी मिनरल है, जो शरीर के कई जरूरी कार्य करता है। कैल्शियम की प्रतिदिन 8 सौ से 12 सौ मिग्रा मात्रा लेना चाहिए।स्रोत - मलाई वाला दूध, दही, पनीर, चीज़, टो$फू, अण्डा, अंजीर, खसखस, पालक व पत्तागोभी में कैल्शियम पाया जाता है।लाभ : यह कई प्रकार के रोगों से बचाता है जैसे-संतुलित मात्रा में कैल्शियम लेने से ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या से बचाव संभव है।शरीर में संतुलित मात्रा में कैल्शियम हो, तो यह असमय दांतों को टूटने से बचाता हैै।पैरों में आने वाले क्रैम्प कैल्शियम से दूर हो जाते हैं।महिलाओं में माहवारी के दर्द को कम करती है।अनिद्रा की समस्या व मानसिक तनाव दूर करता है।छोटे बच्चों व युवाओं में हड्डियों को मजबूती देता है व उनकी लंबाई बढ़ाता है। गर्भवती व स्तनपान कराने वाली महिलाओं व वृद्धों को कैल्शियम की सामान्य से अधिक मात्रा की आवश्यकता होती है।नुकसान - अधिक मात्रा में कैल्शियम लेने से यह किडनी में स्टोन बनाता है तथा कई अन्य जरूरी मिनरल्स को शरीर में आने से रोकता है।मैग्नीशियम
यह भी शरीर के लिये अत्यंत ही जरूरी मिनरल है।स्रोत- यह सभी प्रकार के सूखे मेवे जैसे बादाम, अखरोट, मूंगफली, मक्का, दूध, चीज़, मछली, अण्डा व गेंहू के दलिये व चोकरयुक्त आटे में पाया जाता है।लाभ : यह शरीर के प्रत्येक बॉयोकेमिकल प्रोसेज़ जैसे आहार से शरीर के कार्य हेतु ऊर्जा उत्पन्न करना आदि कार्य में मुख्य भूमिका निभाता है।शरीर में इंसुलिन हॉर्मोन की मात्रा नियंत्रित कर शुगर (रक्त शर्करा) की मात्रा को नियंत्रित करता है अर्थात् मधुमेह से बचाता है। मधुमेह के रोगियों में ब्लड शुगर नियंत्रित करता है।हृदय को शक्तिशाली बनाता है व हार्ट अटैकसे बचाता है।शरीर की थकान दूर करता है।पैरों में आने वाले क्रैम्प को दूर करता है।शरीर की प्रत्येक कोशिका में होने वाली टूट-फूट को सही करता है।हड्डियों व दांतों को मजबूती देता है।अनिद्रा, मानसिक तनाव, चिड़चिड़ापन व डिप्रेशन दूर करता है।एसिडिटी की समस्या दूर करता है।नुकसान - मैग्नीशियम भी अधिक मात्रा में नहीं लेना चाहिए। अधिक मात्रा में यह किडनी के रोग तथा शरीर में कई प्रकार का विषैला प्रभाव उत्पन्न करता है।पोटेशियम
पोटेशियम रोजमर्रा के खानपान से मिलने वाले पोषक तत्वों में से एक है। पोटेशियम मेटाबॉलिज्म के सामान्य रूप से काम करने के लिए एक महत्वपूर्ण तत्व है। ये कोशिकाओं, ऊतकों और मांसपेशियों के लिए बहुत जरूरी है। स्रोत - कच्चा व पका केला, पालक, टमाटर, फूलगोभी, आलू, शकरकंद, खजूर, मुनक्का, नारियल पानी, कोकम, इमली, चीज़ व चिकन ।लाभ : पोटेशियम शरीर में सोडियम की मात्रा को कम बनाए रखने के साथ ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में मदद करता है।पोटेशियम के सेवन से कोलेस्ट्रॉल से लडऩे में मदद मिलती है। पोटेशियम मांसपेशियों को स्वस्थ बनाए रखने के लिए भी बहुत जरूरी है।हड्डियों की मजबूती के लिए पोटेशियम बहुत जरूरी है।यह स्ट्रोक/पक्षाघात से बचाता है।हृदय को शक्तिशाली बनाता व हार्टअटैक से बचाता है।पाचन क्षमता सुधारता है।दिमाग तक रक्त पहुंचाने में मदद करता है, जिससे विचारशक्ति अच्छी होती है, डिप्रेशन व चिड़चिड़ापन दूर होता है।नुकसान - पोटेशियम की अत्यधिक मात्रा से स्वास्थ्य संबंधी कई परेशानियां हो सकती हंै। जैसे अधिक पोटेशियम से किडनी कमजोर और डैमेज हो सकती है। सोडियम सोडियम की जरूरत हमारे शरीर में पानी की मात्रा को नियंत्रित करने और मस्तिष्क से शरीर के अन्य अंगों तक और अन्य अंगों से मस्तिष्क तक सूचनाओं के आदान-प्रदान करने में होती है। इसके अलावा मांसपेशियों के कार्य सुचारू रूप से करने में भी सोडियम की अहम भूमिका होती है।स्रोत - शरीर में सेाडियम की पूर्ति का सबसे अच्छा और प्राकृतिक स्रोत नमक है। इसके अलावा गाजर, चुकन्दर, पालक, दूध, पनीर, अंडे में भी सोडियम अल्प मात्रा में पाया जाता है। अनाजों में भी सोडियम अति अल्प मात्रा में पाया जाता है। लाभ : सोडियम हमारे शरीर में अम्ल व क्षारीय स्थिति में संतुलन बनाए रखने में सहायक है।यह हमारे शरीर में उचित जल संतुलन बनाए रखने में मदद करता है। हृदय की मांसपेशियों के संकुचन व नाड़ी ऊतकों की संवेदन शक्ति को नियमित रखता है। हृदय की धडक़न को सामान्य बनाए रखने में मदद करता है।रक्तचाप सामान्य बनाए रखने में सहायक है।गर्मी में जिन लोगों को पसीना अधिक आने के कारण पैरों में क्रैम्प आते हैं, उन्हें दूर करता है।मसल्स व नर्व तंत्रिका तंत्र को मजबूती प्रदान करता है।दस्त में डिहाइड्रेशन होने से रोकता है। नुकसान :सोडियम की अधिक मात्रा से रक्तचाप बढ़ जाता है। उच्च रक्तचाप हृदय से जुड़ी बीमारियों को जन्म देता है।सोडियम की अधिकता से टखने में सूजन और मोटापे की समस्या बढ़ जाती है।इसकी अधिकता से ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा बढ़ जाता है।सोडियम की अधिक मात्रा से पेट के कैंसर, अस्थमा और किडनी से जुड़ी बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है। किडनी और हाई बीपी के मरीजों को सोडियम की अधिक मात्रा नहीं लेना चाहिए।सोडियम की अधिक मात्रा से बाल झड़ते हैं। जिंक
जिंक हमारे शरीर के लिए एक महत्वपूर्ण खनिज है, जो हमारे अच्छे स्वास्थ्य के लिए बहुत आवश्यक है। जस्ता या जिंक हमारे पूरे शरीर की कोशिकाओं में पाया जाता है। जिंक हमारे शरीर के ठीक से काम करने और इम्युनिटी सिस्टम के लिए बहुत आवश्यक है।स्रोत -जिंक के प्राकृतिक और अच्छे स्रोत मूंगफली, लहसुन, तिल, मशरूम, राजमा, दालें, सोयाबीन, अलसी, बादाम, मटर, गेहूं, पालक, अनार, हरी बीन्स, गुड़, आलू, अनार, अण्डे का पीला भाग।लाभ :यह घावों को तेजी से भरता है।शरीर में जिंक की उचित मात्रा से मेटाबॉलिजम ठीक रहता है एवं इंसुलिन भी सही मात्रा में निकलता है अर्थात डायबिटीज़ या तो होती नहीं और अगर हो गयी, तो नियंत्रित हो जाती है।जिंक प्रजनन क्षमता बढा़ता है।रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है।त्वचा रोग जैसे एक्जि़मा, सोरायसिस व मुंहासे की समस्या दूर करता है। पाचन क्षमता बढ़ाता है।बहुत अच्छा एंटी ऑक्सीडेंट है, अत: मोटापे से बचाता है।नुकसान:जिंक की कमी से डायबिटीज़ होती है।शरीर में जिंक की कमी होने पर मनुष्य की सूंघने व स्वाद की शक्ति कम हो जाती है।जिंक की कमी से नाखून व बालों की ग्रोथ कम हो जाती हैसेलेनियम
सेलेनियम एक दुर्लभ खनिज है, लेकिन इसका कार्य महत्वपूर्ण है। यह शक्तिशाली खनिज एंटी ऑक्सीडेंट में से एक है। सेलेनियम फ्री रेडिकल कम करने के साथ-साथ कैल्शियम, तांबा और जस्ता के साथ हड्डी के विकास में भी मदद करता है।स्रोत- सूरजमुखी के बीज, ब्राज़ील नट, अखरोट, मछली, दूध व दूध के प्रोडक्ट, फल व सब्जियां।लाभ :त्वचा में लचीलापन बनाए रखता है।पुरुषों में प्रजनन क्षमता बनाए रखता है। स्पर्म की संख्या सामान्य बनाए रखता है।बहुत अच्छा एंटी ऑक्सीडेंट है अत: कई प्रकार के खतरनाक रोगों से बचाता है।शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है।मेनोपॉज़ के समय होने वाली परेशानियों से बचाता है।नेत्रक्षमता सामान्य रखता है।नुकसान:शरीर में सेलेनियम की कमी से केटरेक्ट होता हैै।सेलेनियम की कमी से डेंड्रफ होती है। त्वचा में समय से पहले झुर्रियां आ जाती हैं।आयरन
मानव शरीर के लिये आयरन अत्यंत जरूरी है जिसे लौह तत्व कहा जाता है। आयरन इसलिये जरूरी है क्योंकि यह जीवन के लिये जरूरी ऑक्सीजन को फेफड़ों से शरीर के अन्य अंगों तक पहुंचाती है। शरीर में कभी-कभार रक्त की कमी हो जाती है, जिसे एनीमिया कहते हैं, यह आयरन की कमी से ही होता है।स्रोत - गुड़, पालक, लाल चौलाई, हरी भाजियां, टमाटर, चुकंदर, गाजर, अंजीर, मुनक्का, काला अंगूर, अनार, गेहूं का दलिया, बाजरा, काला चना, राजमा आदि।लाभ :त्वचा व बालों में कांति लाता है।एनीमिया अर्थात आयरन की कमी दूर करता है।शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है।मानसिक तनाव, चिड़चिड़ापन व डिप्रेशन दूर करता है।थकान दूर कर शरीर में स्फूर्ति बनाए रखता है। रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है।भूख बढ़ाता है।नाखूनों को टूटने से बचाता है।नुकसानशरीर में आयरन की कमी होने से थकान बनी रहती है।शारीरिक विकास रुक जाता है।याददाश्त क्षमता भी कम होती है।जोड़ों में दर्द व सूजन आती है।कॉपर
सेहतमंद बनाए रखने में कॉपर या ताम्र का भी बहुत महत्व है।स्रोत- सूरजूुखी के बीज, मूंगफली, मशरूम, लिवर, ऑस्टर, शैलफिश, कॉपर, तांबे के बर्तन में रखा पानी।लाभ : मस्तिष्क के कामकाज में सुधार करता है। गठिया की पीड़ा कम करता है। त्वचा व बालों में कांति लाता है। रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है।हृदय रोगों से बचाता है शरीर की रक्त कोशिकाओं को स्वस्थ रखता है।गले में संक्रमण को समाप्त करता है। थकान दूर करता है।नुकसान:कॉपर की अधिकता से सिरदर्द होता है।सिर के बाल झडऩे लगते हैं।इसकी अधिकता से डिप्रेशन व अनिद्रा की समस्या होती है।
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