सर्वाधिक अवशोषण क्षमता होने के कारण मिट्टी प्रबल कीटाणुनाशक है। मिट्टी में विशेष प्रकार का सूक्ष्म जीवाणु एक्टिनोमाइसिटेस पाया जाता है, जिसका आचरण प्रतिरक्षी जीवों की तरह होता है। इस बैक्टीरिया की गति सर्वाधिक होती है। मिट्टी में इस जीवाणु की अधिकता इसकी गुणवत्ता बढ़ाती है। मिट्टी में पानी डालने पर इस जीवाणु की गति 20 गुना बढ़ जाती है। मिट्टी में जो सौंधी- सौंधी खुशबू आती है, वह इस जीवाणु की गति व संख्या को इंगित करती है। मिटटी चिकित्सा पद्धति में साफ व बारह घंटे भीगी हुई मिट्टी का प्रयोग भिन्न-भिन्न रूपों में किया जाता है। सूजनशरीर में कहीं भी किसी भी प्रकार की सूजन आ गई है, तो उस जगह मोटी मिट्टी की पट्टी 25 मिनट लगाकर सूजन को तेजी से कम किया जा सकता है। यदि सूजन शरीर के अन्दरूनी हिस्सों जैसे अल्सर, लिवर ऑफ सिरोसिस, प्लीहा वृद्धि, यकृत वृद्धि है, तो सुबह-शाम की दो बार मिट्टी पट्टी का प्रयोग बेहद लाभकारी है। गांठ या रसोलीशरीर के किसी भी हिस्से में अन्दर की गांठ हो (खासकर स्तन, बच्चेदानी, मलदार, पेट आदि) वहां पर पहले गर्म सेंक देकर 1 इंच मोटी चिकनी मिट्टी की पट्टी 30 से 45 मिनट तक सुबह-शाम रखें। गांठ स्वत: ही धीरे-धीरे कम होने लगेगी। कैंसर चिकित्सा में इस विधि का प्रयोग सर्वाधिक लाभकारी व सफल उपचार है।उदर रोगकिसी भी प्रकार के उदर रोग में (जैसे कब्ज, एसिडिटी, अपच, कोलाइटिस, गैस्ट्रिक) पहले पेट का गर्म सेंक देकर तुरन्त 1 इंच मोटी मिट्टी की पट्टी रखने से अन्दर जमा मल बाहर आता है। इस प्रक्रिया से आंतों को बहुत आराम मिलता है। फलस्वरूप कब्ज जैसे रोग ठीक हो जाते हैं व आंतों की कार्यक्षमता में बढ़ोतरी होती है।आंखों केरोगआंखों के रोग खासकर कलर ब्लाइन्डनेस, कमजोर विज़न, कमजोर रेटिना, धुंधलापन आदि रोगों में आंख पर सीधी मिट्टी रखने से आंखों को गहरा विश्राम मिलता है। माइग्रेन, सिरदर्द या आंखो में जलन है, तो मिट्टी की पट्टी रखने पर लाभ होता है। त्वचा रोगसोरायसिस, दाद, खाज, खुजली या किसी भी प्रकार का त्वचा रोग होने पर मड स्नान पद्धति का प्रयोग नीम की पत्तियों के साथ करने पर त्वचा के रोग दूर करने में मदद करता है।सावधानीमिट्टी चिकित्सा का प्रयोग करते समय ध्यान रखें कि मिट्टी साफ, गहरे गड्ढे से ली गई हो। मिट्टी को प्रयोग में लाने से पहले 10-12 दिन धूप में अच्छी तरह कर सुखा लें, ताकि उसमें उपस्थित हानिकारक कीटाणु मर जाएं।
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