JAMNA PHARMA GROUP : JAMNA PHARMACEUTICALS JAMNA HERBAL RESEARCH LTD. | AYUSHMAN MAGAZINE | AYURVEDA CHINTAN

युवाओं का स्वास्थ्य प्रभावित करती नकारात्मक सोच

युवाओं का स्वास्थ्य प्रभावित करती नकारात्मक सोच

Published on 22 Feb 2020 by Ayushman Magazine Youth Corner

इन दिनों युवा डिप्रेशन और अनेक मानसिक रोगों से ग्रस्त हो रहे हैं, इसकी सबसे बड़ी वजह है, उनकी नकारात्मक सोच। आज हर व्यक्ति भागदौड़, व्यर्थ की प्रतिस्पर्धा, तनाव को साथ लिए हैरान, परेशान है। किसी को शारीरिक, किसी को मानसिक और किसी को दोनों, कम या अधिक किसी न किसी रूप में रोग अपना शिकार बनाए हुए हैं। अधिकांश व्यक्तियों का जीवन औषधियों पर ही आश्रित है। कुछ रोगों का कारण आनुवंशिक या शारीरिक हो सकता है, परन्तु अधिकांश शारीरिक समस्याएं नकारात्मक विचारों के कारण ही होती हैं।
नकारात्मक सोच से उत्पन्न समस्याएं
उत्तम स्वास्थ्य का आधार सकारात्मक सोच है। सोच और स्वास्थ्य एक दूसरे के पूरक हैं। मनुष्य की सोच का उसके स्वास्थ्य पर बहुत गहरा असर पड़ता है। इंसान जैसा सोचता है, उसका शरीर वैसी ही प्रतिक्रिया करता है। सकारात्मक सोच से व्यक्ति प्रसन्न रहता है, भोजन और आचार-विचार का प्रभाव व्यक्ति के तन और मन पर होता है।
अधिक नकारात्मक विचारों के कारण गैस अधिक मात्रा में बनती है, पाचन क्रिया बिगड़ जाती है, बाल झडऩे लगते हैं तथा मानसिक रोग हो जाते हैं। इंसान अपने दिमाग का 10 से 15 प्रतिशत ही इस्तेमाल करता है। ऐसे में अगर सोच नकारात्मक होगी, तो निसंदेह दिमाग भ्रमित हो सकता है। अच्छी सोच, अच्छी सेहत की परिचायक है। स्वस्थ रहना आसान है और सोच को सकारात्मक रूप देना उससे भी आसान है। जो लोग सकारात्मक सोच रखते हैं, उनके शरीर की धमनियां खुशी के कारण सजग और सचेत रहती हंै। अत: उनकी समस्याओं या रोगों से लडऩे की सोच भी सकारात्मक होती है।
नकारात्मकता के लक्षण/कारण
गलत सोचना, सबको दोषी मान बैठना, व्यर्थ में उलझना आदि लक्षण नकारात्मक सोच के हैं। ऐसे लोग स्वयं तो दुखी होते ही हैं, अपने व्यवहार से दूसरों को भी तनावग्रस्त बनाते हैं। यदि ऐसे व्यवहार के कारणों पर विचार करें, तो पारिवारिक वातावरण, बचपन से स्नेह का अभाव, ईष्र्या, द्वेष की भावना, अत्यधिक अंतर्मुखी होना, किसी से अपनी समस्या शेयर न करना, जीवन में विशेष सफल न हो पाना, हीन भावना का शिकार होना आदि कारण और लक्षण नकारात्मक सोच के हैं।
कुछ हार्मोन्स, जो व्यक्ति को स्वस्थ, प्रसन्नचित्त और उत्साह से परिपूर्ण रखते हैं-
सेरोटोनिन:- एक ऐसा तत्व, जो तनाव से मुक्त रखता है। यह पौष्टिक भोजन, व्यायाम तथा सूर्य के प्रकाश से प्राप्त होता है।
इन्डोरफिन्स:- व्यक्ति को आनंद का अनुभव कराता है, चिंताओं को दूर भगाता है और शरीर में होने वाली पीड़ाओं का अहसास कम कराने में सहायक है।
डोपेमिन:- मानसिक रूप से तंत्रिका तंत्र को अलर्ट रखने में रामबाण है।
क्या करें, सकारात्मक सोच के लिए:-



सर्वप्रथम युवा वर्ग को अपनी दिनचर्या में परिवर्तन लाना होगा। जागने, सोने, भोजन का समय निर्धारित करना होगा। फास्ट फूूड कल्चर को छोडऩा होगा। पौष्टिक भोजन, योगासन, शुद्ध वायु और सूर्य की रोशनी स्वस्थ जीवन का आधार है। ध्यान, योग से ही हार्मोन्स का स्तर संतुलित होकर व्यक्ति में मानवोचित गुणों का विकास हो सकता है।
प्रकृति के समीप रहकर सकारात्मक रहा जा सकता है। मनुष्य का दिमाग और शरीर दोनों ही संतुलित रह सकते हैं। सकारात्मक सोच का प्रभाव धीमा होता है, लेकिन होता अवश्य है।
हंसना, स्वास्थ्य का सबसे उत्तम टॉनिक है, इसीलिए नकारात्मकता को दूर कर हंसते मुस्कुराते रहिए।