देशभर में आयुर्वेद के पीजी डॉक्टरों को 58 तरह के ऑपरेशन करने का अधिकार मिलने के बाद से आयुर्वेद सर्जन उत्साहित हैं। उधर, आईएमए की ओर से मिक्सोपैथी बताकर विरोध जरूर किया जाता रहा है। लेकिन, अब उत्तराखंड आयुर्वेद विवि की ओर से आजादी से अब तक के आयुर्वेद सर्जन और सर्जरियों का इनसाइक्लोपीडिया यानी डाटा बैंक बनाया जाएगा। इस डाटा बैंक में आयुर्वेद डॉक्टरों और संस्थान का नाम, उनके कामों के फोटो भी होंगे। देश के सभी सरकारी संस्थानों से भी डाटा मांगा गया है, क्योंकि अभी तक सरकारी क्षेत्र में आयुर्वेद सर्जरी की जाती रही है। विवि के कुलपति प्रोफेसर डॉ. सुनील जोशी के नेतृत्व में यह पहल की गई है। इसके लिए देश के डॉक्टरों की एक एडवाइजरी कमेटी बनाई गई है। ये राज्यों से डाटा मुहैया कराएगी। विवि में डॉ. वर्षा सक्सेना, डॉ.सुनील पांडेय, डॉ. अजय गुप्ता, डॉ. नवीन जोशी, डॉ. पंकज शर्मा, डॉ. नवीन शर्मा की समिति बनी।सर्जनों का ब्योराउत्तराखंड 23 उत्तर प्रदेश 22महाराष्ट्र 10 राजस्थान 09 मध्य प्रदेश 08 गुजरात 02दिल्ली 03 हिमाचल 05कर्नाटक 04हरियाणा 03आंध्र प्रदेश 01 बिहार 02 (एडवाइजरी कमेटी में आयुर्वेद सर्जनों की संख्या)कुलपति प्रो. सुनील जोशी ने बताया कि बनारस हिंदू विवि से 60 के दशक में प्रो. प्रभु जनार्दन देश पांडेय और प्रो. केएन उडुपा ने आयुर्वेद सर्जरी में कई कीर्तिमान स्थापित किए। पूरे देश से यह डाटा संकलित किया जाएगा कि आजादी से अब तक आयुर्वेद में क्या क्या सर्जरी, कितने डाक्टरों ने की। आयुर्वेद में लेप्रोस्क्रोपिक, प्लास्टिक सर्जरी, सामान्य सर्जरी, हड्डी की सर्जरी समेत तमाम तरह की सर्जरी की जाती है। पारंपरिक रूप से भी जो शल्य चिकित्सा करते रहे हैं, उनका लेखा-जोखा रहेगा। आयुर्वेद कितना अहम है, यह समाज को समझाने की कोशिश रहेगी। युवा डॉक्टरों को भी इससे काफी लाभ मिलेगा। आयुर्वेद विवि के कुलपति प्रो. जोशी ने बताया कि डाटा बैंक बनने के बाद ई बुक के रूप में तैयार कराया जाएगा। इसके अलावा करीब दो हजार पेज की एक बड़ी पुस्तिका भी प्रकाशित की जाएगी। नवंबर माह में धन्वंतरि जयंती तक इनसाइक्लोपीडिया तैयार होने की उम्मीद है।
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