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युवाओं के श्वसन तंत्र का दुश्मन धूम्रपान

युवाओं के श्वसन तंत्र का दुश्मन धूम्रपान

Published on 22 Feb 2020 by Ayushman Magazine Youth Corner

भारतवर्ष में लगभग 120 मिलियन व्यक्ति धूम्रपान करते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार हमारे देश में एक मिलियन व्यक्ति प्रतिवर्ष धूम्रपान सेवन से मरते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के 2002 में हुए सर्वे के अनुसार हमारे देश में लगभग 30 प्रतिशत युवा धूम्रपान करते हैं।
2010 में हुए सर्वे के अनुसार भारतवर्ष में प्रति 5 पुरुषों में से एक व्यक्ति की मृत्यु धूम्रपान सेवन से होती है। पूरे विश्व में धूम्रपान से प्रतिवर्ष 6.4 मिलियन व्यक्तियों की मृत्यु होती है।
हमारे देश में प्राय: युवा 10वीं कक्षा में आते आते धूम्रपान करना प्रारंभ कर देते हैं। धूम्रपान के लिये युवा बीड़ी व सिगरेट का इस्तेमाल करते हैं। युवा सोचते हैं कि धूम्रपान के सेवन से किसी भी प्रकार के रोग नहीं होते। अत: नासमझी के कारण युवाओं को धूम्रपान की बुरी लत लग जाती है।
सिगरेट में पाये जाने वाले केमिकल
धूम्रपान के लिये युवा सबसे ज्यादा सिगरेट का प्रयोग करते हैैं। एक सिगरेट में 4000 से ज्यादा केमिकल पाये जाते हैं। इन में से 43 केमिकल तो शरीर के किसी भी हिस्से में कैंसर को उत्पन्न करते हैं। 400 अन्य केमिकल बहुत ही खतरनाक विषैले केमिकल हैं (निकोटिन, टॉर, कार्बन मोनोऑक्साइड, फर्मेल्डीहाइड, अमोनिया, हाइड्रोजन सॉयनाइड, ऑर्सेनिक व डी.डी.टी. आदि) जो शरीर में विषाक्त व अनेक घातक रोग पैदा करते हैं
सिगरेट व बीड़ी के नशे सेे शरीर के विभिन्न हिस्सों में होने वाले हानिकारक दुष्प्रभाव
1. मस्तिष्क में धूम्रपान के हानिकारक प्रभाव- सिगरेट में पाये जाने वाला निकोटिन दिमाग के कई हिस्सों में खतरनाक प्रभाव डालता है। जैसे-
तनाव
लगातार सिगरेट के नशे के कारण दिमागका वह हिस्सा, जो व्यक्ति को तनाव सहन करने की क्षमता देता है, वो ठीक से काम नहीं करता अत: परिणामस्वरूप युवा प्रतिदिन आने वाली छोटी-छोटी समस्याओं से जल्दी ही तनावग्रस्त हो जाता है। युवाओं को यह भ्रम भी हो जाता है कि सिगरेट पीने से उनका तनाव कम हो रहा है। जबकी वास्तव में ऐसे युवा जो सिगरेट पीते ही नहीं, उनको इसे पीने वालों की अपेक्षा तनाव कम होता हैै।
नशे की लत लगना
सिगरेट में पाये जाने वाले निकोटिन के कारण इसे पीने से डोपामिन नामक रिसेप्टर ब्रेन में थोड़ी देर के लिये स्रावित होता है। इस रिसेप्टर के ब्रेन में होने पर मनुष्य को थोड़ी देर के लिये बहुत अच्छा लगता है। परंतु सिगरेट पीने के थोड़ी देर बाद यह गायब हो जाता है, तो सिगरेट पीने के दौरान अच्छी लगने वाली फीलिंग अचानक कम हो जाती है, इस अच्छी फीलिंग के लिये युवा बार- बार सिगरेट पीता है।
चिड़चिड़ा होना
जो युवा धूम्रपान करते हैं, वे छोटी-छोटी बातों पर अपना नियंत्रण खो देते हैं व बहुत गुस्सैल व जिद्दी हो जाते हैं।
डिप्रेशन
लम्बे समय तक धूम्रपान करने से डिप्रेशन उत्पन्न होता है।
2 श्वसनतंत्र में धूम्रपान के हानिकारक प्रभाव- मनुष्य का श्वसनतंत्र नाक से लेकर छाती में लंग्स तक होता है। यह श्वसनतंत्र धूम्रपान से सबसे अधिक व बुरी तरह प्रभावित होता है।
बोंकोस्पाज्म



नाक से सांस, श्वांस नली द्वारा लंग्स तक जाती है। अधिक सिगरेट पीने से सांस की नली अंदर से सिकुड़ जाती है, उसकी लचक कम हो जाती है जिस कारण सांस लेने में परेशानी होने लगती है। ऐसे लोग जो पहले से ही अस्थमा के मरीज हैं, सिगरेट पीने से उनमें अस्थमा की शिकायत दुगनी हो जाती है।
लगातार कफ बना रहना
सामान्यत: जब कोई भी केमिकल या विषैले कण हमारी सांस की नली या लंग्स में जाते हैं तो इन कणों को निकालने के लिये लंग्स में बहुत मात्रा में चिकना पदार्थ बनता है, जो इन कणों को चारों ओर से घेर कर रखते हैैं। इन कणों को सांस नली से बाहर फेंकने के लिये सांस की नली में पाये जाने वाले छोटे छोटे बॉल्व इसे निकालने की कोशिश करते हैं, परंतु जो लोग धूम्रपान करते हैं उनकी सांस की नली में अनेक प्रकार के हानिकारक विषैले कण इक_े हो जाते हैं व निकल नहीं पाते, क्योंकि सांस की नली में पाये जाने वाले ये छोटे छोटे बॉल्व पेरालाइज़्ड हो जाते हैं साथ ही इन कणों को निकालने के लिये अधिक मात्रा में बना क$फ लंग्स में ही इक_ा होता जाता है, जिसके कारण सांस लेने में बहुत परेशानी होती है। धूम्रपान करने वाले को हमेशा क$फ बना रहता है।
3. शारीरिक क्षमता में कमी
शारीरिक श्रम जैसे दौडऩे, सीढ़ी चढऩे, तैरने व खेलकूद े के लिये शरीर को सामान्य से अधिक ऑक्सीज़न की आवश्यकता होती है। परंतु सांस नली के सिकुड़ जाने के कारण लंग्स में सांस लेने की क्षमता ही कम हो जाती है, जिस कारण धूम्रपान करने वाले युवाओं की शारीरिक क्षमता में बहुत कमी आ जाती है अर्थात् वह बहुत ही जल्दी थक जाता है।
4. धूम्रपान के हानिकारक प्रभाव से होने वाले हृदय रोग
हॉर्ट अटैक का खतरा व बुरा कोलेस्ट्राल शरीर में बढ़ाता है
धूम्रपान करने वाले युवाओं में कम उम्र में ही बड़ी मात्रा में बुरे कोलेस्ट्रॉल एल.डी.एल. व ट्रॉयग्लीसराइड का स्तर शरीर में बढ़ जाता है व हृदय रोग से बचाने वाला अच्छा कोलेस्ट्रॉल एच.डी.एल. का स्तर शरीर में बहुत कम हो जाता है। बुरा कोलेस्ट्रॉल हृदय की धमनियों में रूकावट कर धमनियों में रक्त के सामान्य प्रवाह को रोकता है, जिस कारण धूम्रपान करने वाले युवाओं में कम उम्र में ही हार्ट ब्लॉकेज होता है व हार्ट अटैक आता है। प्रतिदिन एक या पांच सिगरेट पीने वालों में हार्ट अटैक का खतरा समान ही होता है।
थ्रोम्बोसिस
धूम्रपान करने से रक्त की धमनियों का लचीलापन खत्म होने लगता है जिससे वे कठोर हो जाती हैं अत: धमनियों में बहते रक्त में दवाब के कारण कभी- कभी अचानक खून का थक्का जम जाता है जिस कारण भी धूम्रपान करने वाले युवाओं में हार्ट अटैक आता है।
पैरालिसिस का खतरा उन युवाओं में कई गुना होता है, जो धूम्रपान करते हैं।
हाई बी.पी.
धूम्रपान करने से रक्त की धमनियों का लचीलापन खत्म होने लगता है तथा वे कठोर हो कर अंदर से सिकुड़ जाती हैं जिस कारण इनमें बहने वाले रक्त को अधिक दवाब के साथ बहना पड़ता है जिसके कारण धूम्रपान करने वाले युवाओं में कम उम्र में ही हाई बी.पी. की समस्या हो जाती है।
निकोटिक के कारण हार्ट रेट बहुत बढ़ जाता है।
5. धूम्रपान के हानिकारक प्रभाव से होने वाले पाचनतंत्र के रोग
एसिडिटी
धूम्रपान करने वाले युवाओं में लगातार एसिडिटी बनी रहती है।
अल्सर
लगातार धूम्रपान करने वाले युवाओं में पेट में अल्सर की समस्या होना बहुत आम बात है।
6. कैंसर-धूम्रपान करने करने से कम उम्र में ही विभिन्न कैंसर होते हैं-
पेट व आंतों का कैंसर।
लंग्स का कैंसर।
प्रोस्टेट व ब्लैडर कैंसर
- किडनी का कैंसर।
- युवा स्त्रियों में बच्चेदानी (सर्विक्स) का कैंसर।
- युवाओं में मुंह, गले का कैंसर।
7. सायनोसाइटिस व सर्दी की समस्या
- धूम्रपान करने वाले युवाओं में बार- बार सायनस की समस्या होती है।
- रॉयनाइटिस अर्थात् बार-बार नाक बहने वाली सर्दी होती है।
8. दांतों की समस्या
धूम्रपान करने वाले युवाओं में मुंह में कई प्रकार के बैक्टीरिया अपनी जगह बना लेते हैं, जिसके कारण दांतों में बार-बार इन्फेक्शन होता है व मसूड़े में सूजन बनी रहती है।
- दांत कमजोर हो जाते हैं।
- पायरिया हो जाता है।
9. इम्यून सिस्टम को कमजोर करता है
धूम्रपान से रोगप्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है जिस कारण बार-बार कई प्रकार के वायरस व बैक्टीरिया के रोग होते हैं।
कान में बार-बार इन्फेक्शन होता है।
- धूम्रपान करने वाले युवाओं में आंखों की रोशनी कम हो जाती है।
10. त्वचा रोग होते हैं- धूम्रपान के कारण शरीर में विटामिन व माइक्रोन्यूट्रियन्ट्स की कमी हो जाती है, जिसके कारण त्वचा के रोग होते हैं ।
11. वृद्धावस्था के लक्षण उम्र से पहले त्वचा में आने लगते हैं।
धूम्रपान करने वाले युवाओं में निकोटिन नामक केमिकल लंग्स में जाकर तुरंत ही (6 सेकंड में) दिमाग तक पहुंचकर नशा उत्पन्न करता है। सिगरेट व बीड़ी के धूम्रपान से उत्पन्न नशा हेरोइन के नशे से भी ज्यादा खतरनाक होता है। साथ ही उपरोक्त वर्णित विभिन्न घातक रोगों को करता है। अत: धूम्रपान से उत्पन्न क्षणिक मजे को छोड़ कर युवाओं को अपने शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य व लंबी उम्र के लिये धूम्रपान से बचना चाहिए।